बेरोजगारी से तंग आकर शख्स बना नकली ट्रैफिक इंस्पेक्टर, असली पुलिसकर्मियों संग करने लगा ड्यूटी!

  • उसकी पुलिस में भी भर्ती होने की बहुत इच्छा थी
  • दुनिया में बेरोजगारी एक आम समस्या है
  • झूठ ज्यादा दिन तक नही चल सका

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-29 17:19 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनिया में बेरोजगारी एक आम समस्या है जिससे हर देश प्रभावित हैं। लोगों के पास डिग्री होते हुए भी नौकरी ढूंढने के लिए दर-ब-दर भटकना पड़ता हैं। नौकरी न मिलने के कारण कई लोग अपने आप को नाकामयाब महसूस करने लगते हैं। कई बार लोग अपनी नाकामयाबी को हथियार बनाकर कुछ ऐसा करते हैं कि वह दुनिया के लिए मिशाल बन जाते हैं। वहीं कई लोग ऐसे हैरतअंगेज कारनामें को अंजाम देने लग जाते हैं। जिसे देखकर दुनिया भर के लोग हैरान हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां बेरोजगारी से तंग आकर शख्स ने कुछ ऐसा किया जिससे देखकर सब हैरान रह गए। आइए जानते है इस पूरे वाकया के बारे में..

रूस में शख्स बना नकली ट्रैफीक पुलिसकर्मी

मामला रूस के स्टावरोपोल इलाके का है जहां एक 48 साल के शख्स विक्टर नकली ट्रैफिक पुलिसकर्मी के भेस में ड्यूटी करने चला गया। ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, विक्टर का कहना है कि उसने बेरोजगारी से तंग आकर ये सब किया। उसने बताया कि वह घर में बैठे-बैठे बोर होता था और उसकी पुलिस में भी भर्ती होने की बहुत इच्छा थी। लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था और उनकी नौकरी पुलिस ट्रैफिक विभाग में नही लग पाई।

खुद को ही बनाया लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसर

विक्टर ने बताया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी बनने के लिए उन्होंने सबसे पहले नकली वर्दी का प्रबंध किया। फिर खुद को ही प्याटीगोर्स्की गांव में लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसर के पद पर नियुक्त कर लिया। विक्टकर ट्रैफिक पुलिसकर्मी बन सड़को पर अपनी शानदार एक्टिंग स्किल्स और हुनर से लोगों को सही गाड़ी चलाने की सलाह देते है। जब भी वह लोगों को गलत तरीके से गाड़ी चलाते हुए देखते विक्टर उन्हें रोककर उन्हें सही गाड़ी चलाने के बारे में भी बताते।

ऐस पता चली सच्चाई

विक्टर का नकली ट्रेफिक पुलिसकर्मी बनने का झूठ ज्यादा दिन तक नही चल सका। करीब 2 महीने तक नकली पुलिस ऑफिसर बनने के बाद उनकी सच्चाई पुलिस विभाग को पता चली। दरअसल, जब पुलिस अधिकारियों ने प्याटीगोर्स्की के पेरवोमेस्काया स्ट्रीट से गश्त पर निकलते समय यातायात निरीक्षकों के बॉडी कैम से फुटेज की पड़ताल की जिसमें अधिकारियों ने पाया कि फुटेज में पांच निरीक्षक मौजूद थे जबकि रिकार्ड में सिर्फ चार लोगों के नाम दर्ज थे। इसके अलावा जो पांचवा पुलिसकर्मी था उसकी फुटेज भी गायब थी। जब पांचवे ट्रैफिक इंस्पेक्टर की पहचान की गई तो सामने आया कि वे नकली है। इस मामले की पड़ताल से पता चला कि विक्टर मई से ही अन्य चार पुलिस निरीक्षकों के साथ गशत पर जा रहा था। हैरानी की बात ये थी कि बाकी चार पुलिसकर्मीयों को भी विक्टर के नकली पुलिस इंस्पेक्टर होने के बारे में पता नही था। जिस वजह से चारों में से किसी ने भी पुलिस विभाग को सूचना नही दी थी। विक्टर का नकली ट्रेफिक पुलिसकर्मी बनने की गलती को स्वीकार भी कर लिया। पुलिसकर्मी ने विक्टर (नकली ट्रेफिक पुलिसकर्मी) पर यातायात का उल्लंघन करने, पुलिस की वर्दी का दुरुपयोग करने और पुलिस कर्तव्यों के प्रदर्शन में रुकावट डालने का आरोप भी लगाया था। 

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